नेहरू राजकीयसंस्कृत महाविद्यालय शिमलापहाड़ों की रानी व् देवभूमि हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला की मनमोहक सुरमय सौन्दर्यता के आंचल में फागली नामक स्थान पर अवस्थित है । यह महाविद्यालय देववाणी व समस्त भाषाओँ की आदि जननी संस्कृत भाषा के वैदिक युग से चले आ रहे पारम्परिक अध्ययन की प्राचीन एवं सुविख्यात संस्थाओं में से एक है । वास्तव में महाविद्यालय का शुभारम्भ 1917 में हुआ था । तत्काल में यह महाविद्यालय “श्री ब्राह्मण सभा” द्वारा संचालित एक संस्कृत पाठशाला के रूप में स्थापित किया गया था ।
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फागली ने लहराया सीमा कॉलेज रोहड़ू में अपना परचम |
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फागली ने लहराया सीमा कॉलेज रोहड़ू में अपना परचम
प्राचार्य सन्देश नेहरू राजकीयसंस्कृत महाविद्यालय शिमला- फागली प्राच्य पद्धति द्वारा भारतीय संस्कृत्ति एवं संस्कृत अध्ययन की प्राचीनतम संस्था है।इस शिक्षण संस्था का शुभारंभ १९१७ में ब्राह्मण सभा द्वारा किया गया था।उस समय ब्रह्मण सभा ने संस्कृत शास्त्र परमपरा के प्रचार प्रसार में सरहानीय योगदान दिया था।तत पश्चात १९६४ जून मास में इस महाविद्यालय का नाम प्रथम प्रधानमंत्री स्व. जवाहरलाल नेहरू के देहावसान पर श्री ब्रह्मण सभा ने नेहरू जी के प्रति श्रद्धांजलि स्वरुप महाविद्यालय का नाम नेहरू संस्कृत महाविद्यालय रखा ५२ वर्षों तक इस महाविद्यालय का संचालन श्री ब्राह्मण सभा द्वारा किया गया तथा १९६९ में हिमाचल सरकार ने इस का अधिग्रहण किया। संस्कृत के प्रचार प्रसार हेतु अपने दीर्घ जीवनकल में इस महाविद्यालय ने अनेक भवनों में अपनी ज्ञान यात्रा जारी रखी। सौभाग्य से लंबे अंतराल के बाद मई २०२२ में महाविद्यालय को अपना भवन प्राप्त हुआ। इस संस्था ने दीर्घकल से भारतीय संस्कृति के निर्वाहक एवं उच्चकोटि के विद्वान समाज को दिए जिनसे इस संस्था को गौरवान्वित करने वाले अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुज्यपाद आचार्य दिवाकर दत्त शर्मा अग्रणी है जो इस महाविद्यालय में ४० वर्षों तक सेवाएं देते रहे और प्राचार्य पद को अलंकृत किया।आज भी महाविद्यालय भारतीय संस्कृति की विरासत, गुरु शिष्य परम्परा,प्राचीन ज्ञान परमपरा, शास्त्र परम्परा को आधुनिकता के साथ समायोजित कर सम्पूर्ण भारतवर्ष में प्रचार प्रसार के लिए प्रतिबद्ध है। इस महाविद्यालय का प्राच्य पद्धति अध्ययन एवं आधुनिकता से उसका समायोजन करना महाविद्यालय का मुख्य प्रयोजन है। वर्तमान में महाविद्यालय में विभिन्न विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करके आएयोग्य शिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे है तथा यहां के छात्र संस्कृत वैदिक एवं लौकिक साहित्य परम्परा का अध्ययन कर प्राचीन संस्कृत ज्ञान परम्परा का प्रचार प्रसार कर रहे है। शास्त्र अध्ययन के साथ-साथ महाविद्यालय के छात्र सामाजिक, सांस्कृतिक एवं खेलकूद गतिविधियों में भी सक्रियता से भाग लेते है। मैं इस संस्कृत महाविद्यालय की प्रगति और प्रतिष्ठा हेतु ईश्वर के करबद्ध कामना करता हूँ। प्राचार्य डॉ. मुकेश कुमार शर्मा नेहरू नेहरू राजकीयसंस्कृत महाविद्यालय शिमला शिमला-फागली 171004