महाविद्यालय परिचय
नेहरू राजकीयसंस्कृत महाविद्यालय शिमलापहाड़ों की रानी व् देवभूमि हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला की मनमोहक सुरमय सौन्दर्यता के आंचल में फागली नामक स्थान पर अवस्थित है । यह महाविद्यालय देववाणी व समस्त भाषाओँ की आदि जननी संस्कृत भाषा के वैदिक युग से चले आ रहे पारम्परिक अध्ययन की प्राचीन एवं सुविख्यात संस्थाओं में से एक है । वास्तव में महाविद्यालय का शुभारम्भ 1917 में हुआ था । तत्काल में यह महाविद्यालय “श्री ब्राह्मण सभा” द्वारा संचालित एक संस्कृत पाठशाला के रूप में स्थापित किया गया था । आचार्य दिवाकर दत्त शर्मा की देखरेख में इस महाविद्यालय का प्रारंभिक विकास हुआ । उनके व्यक्तित्व के प्रभावस्वरूप कुछ समय के लिए लोअर बाजार शिमला की मस्जिद में भी चला था । तदोपरांत इसे महाविद्यालय के पुराने भवन यानि लेबर होस्टल में स्थानांतरित किया गया । सन् 1964 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के स्वर्गवास के उपरांत प्रधानमंत्री के प्रति श्रद्धा स्वरूप इसका नाम श्री नेहरू संस्कृत विद्यालय शिमला रखा गया था । इस प्रकार 1917 से लेकर यह महाविद्यालय 1999 तक एक संस्कृत विद्यालय के रूप में संचालित होता रहा । 1996 में स्वर्गीय राजा वीरभद्र सिंह जी के नेतृत्व वाली सरकार ने इसे नेहरू राजकीयसंस्कृत महाविद्यालय शिमलाके नाम से स्तरोन्नत करने सम्बन्धी नियमावली बनाने का आदेश दिया । 1999 में इसे नेहरू राजकीयसंस्कृत महाविद्यालय शिमलाके नाम से स्तरोन्नत किया गया । तब से लेकर वर्तमान समय तक यह महाविद्यालय देववाणी संस्कृत के पारम्परिक वैदिक ज्ञान को छात्रों में संचारित कर रहा है । सन् 2016 में इस महाविद्यालय के नवीन भवन के निर्माण का शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय राजा वीरभद्र सिंह जी के कर कमलों द्वारा हुआ । वर्ष 2020 में महाविद्यालय का भवन बनकर पूर्ण हुआ परन्तु लगभग 2 वर्षों तक ग्रीन ट्रिब्यूनल कोर्ट से अनुमति न मिलने के कारण यह भवन उपयोग में नहीं लाया जा सका । गत वर्ष मई 2022 में माननीय उच्च न्यायालय हि० प्र० की अनुमति के उपरांत महाविद्यालय के नवीन भवन का तत्कालीन शहरी विकास मंत्री व् विधायक शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र श्री सुरेश भारद्वाज जी द्वारा इसका लोकार्पण किया गया । इस प्रकार उपर्युक्त संक्षिप्त विवरण के अनुसार यह महाविद्यालय अनेक व्यवधानों को पार करता हुआ अपने वर्तमान स्वरुप में भारतीय संस्कृति के स्वर्णिम ज्ञान को फलीभूत करने का सकल प्रयास कर रहा है ।