नेहरू राजकीयसंस्कृत महाविद्यालय शिमला (फागली) शिमला प्राच्यपद्धति द्वारा भारतीय संस्कृति एवं संस्कृत!
अध्ययन की प्राचीनतम संस्था है। इस शिक्षण संस्था का शुभारम्भ सन् 197 में श्री ब्राह्मण सभा डरा!
किया गया। उस समय श्री ब्राह्मण सभा ने संस्कृतविद्या के प्रचार एवं प्रसार की दिशा में महनीय योगदान,
किया एवं उनके नेतृत्व में इस संस्था का नाम श्री ब्राह्मण सभा संस्कृत महाविद्यालय शिमला ररवा गया।]
इस संस्था ने दीर्घकाल से भारतीय संस्कृति के निर्वाहक एवं उच्चकोटि के विद्वान समाज को दिए,
जिनमें इस संस्था को गौरवान्वित करने वाले अन्तर्राष्ट्रीय रव्याति प्राप्त राजगुरु पूज्यपाद आचारयी|
दिवाकर दत्त शर्मा अग्रगण्य रंहे हैं, जो इस महाविद्यालय के विकास की उज्ज्वल पृष्ठभूमि है तथा 40l
वर्षों तक इन्होंने इसी महाविद्यालय के प्राचार्य पद को अलंकूत किया।
सन् 1964 ईस्वी जून मास' में इस महाविद्यालय का नाम भारत को प्रथम प्रधानमंत्री स्व0 पंडित!
जवाहर लाल नेहरु के देहावसान परश्री ब्राह्मण सभा ने नेहरु जी के प्रति श्रद्धांजलिस्वरूप नेहरु संस्कृत!
महाविद्यालय शिमला रखा। ब्य वर्षा तक इस महाविद्यालय का संचालन श्री ब्लाह्मण सभा द्वारा किया गया,
'तथा सन् 1969 में हिमाचल प्रदेश सरकार ने इसका अधिग्रहण किया।
अपने दीर्घजीवनकाल में इस महाविद्यालय ने अनेक भवनों में अपने दिन व्यतीत किए। कभी कैथू,
में, कभी कृष्णानगर की मस्ज़िद में, कभी गंज बाजार में , कभी लक्कड़ बाजार में। अब विगत वर्षा से|
श्रमिक सदन (लेबर होस्टल )| फागली में चल रहा है। सौभाग्यवश फागली में ही महाविद्यालय के लिए।
भवन निर्माण हो चुका है और कक्षांए इसी सत्र से आरम्भ हो रहीं है।
भारतीय संस्कृति की विरासत संस्कृत भाषा, जो भारत को कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक सूत्र में!
पिरोती है, इस भाषा का प्राच्यपद्धति से अध्ययन इस महाविद्यालय की एक विशेष पहचान है, जिसके'
कारण अपने शिमला प्रवास के समय w0 श्री जवाहर लाल नेहरु ने इस महाविद्यालय के छात्रों की
प्रशंसा की थी।
इस महाविद्यालय से शिक्षित,विद्वान देश के अनेक विश्वविद्यालयों तथा विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवाएं,
दे रहे हैं। भारतीय संस्कृति का, संरक्षण व पोषण, सदाचार , विनस्रता छात्रों का मुख्य ध्येय है।